पंचपरमेश्वर विद्यापीठ ‘विवेकवान नेतृत्व विकास’ से सम्बंधित विषय एवं कार्य के अध्ययन एवं प्रशिक्षण का एक महत्वपूर्ण केन्द्र है। इसके अन्तर्गत ज्ञान, समझ और कौशल विकास के विषयों तथा संदर्भों का अध्ययन एवं प्रशिक्षण, गांव जीवन को केंद्र में रखते हुए किया जाता है। नेतृत्व की विशेषज्ञता एवं कुशलता की दृष्टि से संबंधित तीनों क्षेत्रों (समाज, राज्य एवं बाजार) हेतु पाठ्यक्रम नियोजित किये गये हैं।विद्यापीठ का मुख्यालय, कमला ओंकार कुटीर, पूरे तोरई, कटरा गुलाब सिंह, प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश, एवं प्रशासनिक कार्यालय- प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) में स्थित है। पंचपरमेश्वर विद्यापीठ पंचपरमेश्वर चेरिटेबल ट्रस्ट के द्वारा संचालित है।
पंचपरमेश्वर चेरिटेबल ट्रस्ट, गैर सरकारी पब्लिक ट्रस्ट है, जिसकी पंजीकरण संख्या- INUP64091323117667U है। पंजीकरण भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882 के अंतर्गत दिनांक- 29/11/2022 को प्रयागराज,उत्तर-प्रदेश में किया गया है।
समाज के पुनर्जागरण, राष्ट्र के पुनर्निर्माण और स्वावलंबी विकास हेतु जीवन के सभी क्षेत्रों के लिए विवेकवान नेतृत्व का विकास करना है।
सद् विवेकी नेतृत्व विकास के शिक्षण एवं प्रशिक्षण का प्रमुख केन्द्र बनना है।
डॉ. चन्द्रशेखर प्राण का जन्म, उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में गाँव के एक साधारण किसान परिवार में हुआ। किशोरावस्था से ही इन्होनें सामाजिक कार्यों में रुचि लेना शुरू कर दिया था। युवावस्था में जिला युवा परिषद (1978) से लेकर राष्ट्रीय युवा परिषद (1987) के गठन तक, इन्होंने अनेक सामाजिक कार्यक्रमों तथा अभियानों का संचालन किया। उनकी यह सामाजिक यात्रा, पैतृक गाँव से शुरू होकर राष्ट्रीय स्तर तक पहुँची थी।
इसी दौरान डॉ. प्राण ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्रथम स्थान के साथ मास्टर डिग्री प्राप्त करके ‘विकास में पंचायतों की भूमिका तथा युवाओं का दृष्टिकोण एवं व्यवहार परिवर्तन’ विषय पर शोध कार्य पूर्ण किया। इसके बाद युवा, पंचायत और विकास के मुद्दे पर समाज एवं सरकार के साथ जुड़कर, विगत 40 वर्षों से गाँव से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक बराबर प्रयासरत रहे हैं ।
वर्ष 1988 में युवा कार्य एवं खेल मंत्रालय,भारत सरकार द्वारा संचालित ‘नेहरू युवा केन्द्र संगठन’ में उप निदेशक के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। इस विभाग में इन्होने क्षेत्रीय निदेशक से लेकर राष्ट्रीय स्तर के निदेशक के रूप में 25 वर्षों तक सफलतापूर्वक कार्य किया और युवाओं के सर्वांगीण विकास तथा गाँव विकास के विविध कार्यक्रमों के मुख्य नोडल अधिकारी, नियोजक एवं संचालक रहे। वर्ष 2013 में सरकारी सेवा से स्वैच्छिक निवृत्ति लेकर डॉ. चन्द्रशेखर प्राण ने पुनः अपने को सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित कर दिया है।
इस समय वह पंचायतों के संस्थागत विकास के लिए जन सहयोग से संचालित एक लोक अभियान, ‘तीसरी सरकार अभियान’ का संयोजन कर रहे हैं। ‘तीसरी सरकार अभियान’ का शुभारम्भ अगस्त 2014 में उत्तर प्रदेश से शुरू हुआ। वर्तमान में यह अभियान भारत के 21 राज्यों में, अपने सहयोगी संगठनों के सहयोग से, पंचायत व्यवस्था के सांस्कृतिक एवं संवैधानिक दोनों पक्षों पर जागरूकता, प्रशिक्षण और एडवोकेसी के लिए कार्य कर रहा है।
डॉ. प्राण ने पंचायती राज व्यवस्था, ग्रामीण विकास, नेतृत्व विकास और समाज व्यवस्था से संबंधित विषयों पर अब तक 21 किताबें भी लिखीं हैं, जो उनकी समाज के प्रति गहरी अंतर्दृष्टि और गाँव जीवन के जीवंत अनुभव को अभिव्यक्त करती हैं।
इसी क्रम में जीवन से संबन्धित सभी क्षेत्रों में ‘विवेकवान नेतृत्व विकास’ के लिए डॉ. प्राण की पहल एवं प्रयास से ‘पंचपरमेश्वर विद्यापीठ’(School of Sensible Leadership) की शुरुआत की गयी है। पंचपरमेश्वर विद्यापीठ के अंतर्गत संचालित पाठ्यक्रमों को भी डॉ प्राण ने बहुत अनुभवी विशेषज्ञों के सहयोग से अपने मार्गदर्शन में तैयार कराया है, जिससे यह पूरी तरह मौलिक और बहुत प्रभावोत्पादक हैं।
* 'पंच' और 'परमेश्वर', यह दो शब्द भारतीय लोक मानस को शताब्दियों से प्रेरित और प्रभावित करते रहे हैं।
* 'पंच' का आशय स्वतःस्फूर्त सर्वमान्य जन नेता है, जो सहज रूप से आत्मप्रेरित होकर किसी सामाजिक दायित्व को स्वीकार करता है।
* 'परमेश्वरत्व' का भाव मनुष्य के सद्गुण, सामाजिक पक्ष में निर्णय लेने की क्षमता और सद् विवेक से जुड़ा है।
* 'इस तरह पंचपरमेश्वर' का आशय है, ‘समाज का स्वतःस्फूर्त जननेतृत्व, जो सत्य के बोध से उत्पन्न विवेक के साथ, समाज में न्याय का कर्ता व मार्गदर्शक हो’।
* इसलिए पंचपरमेश्वर प्रतीक है-
* सामूहिक सोच, पहचान तथा खुले संवाद का,
* सहमति के आधार पर एक मत होकर निर्णय लेने का,
* सहयोग और सहकार की भावना के साथ सक्रियता का,
* पक्षपात रहित सामाजिक न्याय का,
* भारतीय संस्कृति और परंपरा के स्वतःस्फूर्त लोकतांत्रिक स्वरूप का।
1- प्रतिबद्ध एवं विवेकवान नेतृत्व के विकास हेतु अध्ययन और प्रशिक्षण कार्य.
2-लोकतांत्रिक चेतना एवं प्रणाली के लिए पाठ्यक्रमों एवं संदर्भ साहित्य का निर्माण,
3- भारतीय समाज के सामुदायिक चरित्र के संवर्धन एवं संरक्षण हेतु नेतृत्व का विकास,
4- भारतीय राष्ट्र व समाज की आवश्यकता के अनुरूप लोक-नेतृत्व को जागरूक एवं संवेदनशील बनाना,
5- स्वावलंबी ग्राम विकास तथा आत्मनिर्भर समाज की स्थापना हेतु आधारभूत लोक नेतृत्व का शिक्षण /प्रशिक्षण,
6- संदर्भित विषयों पर आवश्यक आधारभूत सूचनाओं का सर्वेक्षण, संकलन, शोध कार्य,
7- संदर्भित विषयों को आधार बनाकर प्रयोगात्मक कार्यक्रमों का संचालन,
पंचपरमेश्वर विद्यापीठ का लक्ष्य